बिहार पिछड़ा राज्य क्यों है Why Bihar is Backward State ?
बिहार को भारतीय राज्य के रूप में अक्सर एक पिछड़े राज्य के रूप में देखा जाता है। इसके कई कारण हैं जो ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से जुड़े हुए हैं। बिहार एक ऐसा राज्य है जिसकी समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर रही है, लेकिन फिर भी यह विकास के मामले में कई अन्य राज्यों से पिछड़ गया है। इस विस्तृत लेख में हम जानेंगे कि क्यों बिहार एक पिछड़ा राज्य माना जाता है और इसके विभिन्न कारण क्या हैं।
- ऐतिहासिक कारण
(a) प्राचीन काल से पतन
बिहार का इतिहास समृद्ध और महान रहा है। यह राज्य भारत के सबसे प्राचीन और समृद्ध सभ्यताओं का केन्द्र था। मगध साम्राज्य (Maurya Empire) और गुप्त साम्राज्य (Gupta Empire) जैसे साम्राज्यों का उदय यहीं से हुआ था, और पाटलिपुत्र (अब पटना) इस समय का प्रमुख प्रशासनिक और शैक्षिक केन्द्र था। लेकिन समय के साथ, विभिन्न आक्रमणों और राजनीतिक अस्थिरता ने बिहार की स्थिति को कमजोर किया। जैसे-जैसे विभिन्न आक्रमणकारी जैसे हर्षवर्धन, महमूद गजनवी, और बाद में अंग्रेजों ने इस क्षेत्र में आक्रमण किया, वैसे-वैसे बिहार का राजनीतिक और आर्थिक पतन हुआ।
(b) ब्रिटिश काल में उपेक्षा
ब्रिटिश शासन के दौरान बिहार का भी शोषण हुआ। औपनिवेशिक शासकों ने बिहार के संसाधनों का भरपूर दोहन किया, लेकिन राज्य की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। बिहार का औद्योगिकीकरण नहीं हुआ, और यह राज्य मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर बना रहा, जबकि अन्य राज्यों में औद्योगिकीकरण और शहरीकरण की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही थी। इसके परिणामस्वरूप बिहार में अविकसितता की स्थिति बनी रही।
- राजनीतिक कारण
(a) भ्रष्टाचार और कुप्रशासन
बिहार में अक्सर सरकारों का शासन कमजोर और भ्रष्ट रहा है। राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक विफलताएं भी विकास में रुकावट डालने वाले प्रमुख कारणों में से एक रही हैं। बिहार में भ्रष्टाचार के मामलों में लगातार वृद्धि हुई, जिसने सरकारी योजनाओं और संसाधनों के उचित वितरण में बाधा डाली। इस कारण से विकास की गति धीमी रही और बुनियादी सुविधाओं की कमी बनी रही।
(b) जातिवाद और राजनीतिक समीकरण
बिहार में जातिवाद की गहरी जड़ें हैं, जो राजनीतिक प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं। राजनीतिक दलों द्वारा जाति आधारित समीकरणों पर जोर देने से विकास कार्यों में स्थिरता की कमी रही। जातिवाद के आधार पर राजनीति करने वाले नेताओं ने केवल अपने वोट बैंक को साधने के लिए योजनाओं को लागू किया, जिससे अन्य समुदायों के लिए अवसर सीमित हो गए। इससे समग्र विकास की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हुई।
(c) कानून और व्यवस्था की स्थिति
1990 के दशक में बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई थी। अपराधी तत्वों का प्रभाव बढ़ा और प्रशासन में डर का माहौल बन गया था। इससे राज्य के विकास में गंभीर रुकावटें आईं। बिहार में अपराधों का बढ़ना निवेशकों को आकर्षित करने में बाधा बना, और यह राज्य की छवि को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
- आर्थिक कारण
(a) कम औद्योगिकीकरण
बिहार में औद्योगिकीकरण की कमी है, जो इसके विकास के रास्ते में एक बड़ी रुकावट है। अन्य राज्यों में औद्योगिक विकास ने रोजगार सृजन और समृद्धि को बढ़ावा दिया, जबकि बिहार में यह प्रक्रिया धीमी रही। अधिकांश बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर रही, जो मौसम, जलवायु और अन्य प्राकृतिक कारणों से प्रभावित होती रही। इसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसर सीमित रहे और लोग गरीब बने रहे।
(b) खराब बुनियादी ढांचा
बिहार में बुनियादी ढांचे का अभाव है, जैसे कि सड़कें, रेल लाइन, बिजली, पानी, और स्वास्थ्य सेवाएं। खराब सड़कें और अविकसित परिवहन नेटवर्क राज्य के आंतरिक विकास को प्रभावित करते हैं और लोगों को दूर-दराज के क्षेत्रों में जाने में कठिनाई होती है। इसके साथ ही बिजली की लगातार किल्लत और खराब सड़कें भी व्यवसायों को प्रभावित करती हैं, जिससे राज्य में निवेश का माहौल नहीं बन पाता।
(c) कृषि आधारित अर्थव्यवस्था
बिहार की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, लेकिन यहां की कृषि प्रणाली आधुनिक तकनीक से काफी दूर है। किसानों के पास न तो उन्नत बीज हैं, न ही उचित सिंचाई व्यवस्था। इसके अलावा, कई बार बिहार में बाढ़ आ जाती है, जो फसलों को नष्ट कर देती है। इन सभी कारणों से कृषि में कम उत्पादकता और कृषि संकट पैदा होता है, जो राज्य के आर्थिक विकास को प्रभावित करता है।
- सामाजिक कारण
(a) शिक्षा की स्थिति
बिहार में शिक्षा का स्तर अपेक्षाकृत कम है। जबकि राज्य ने पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार किया है, फिर भी यहां की literacy rate (साक्षरता दर) अन्य राज्यों की तुलना में कम है। ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के संस्थानों की कमी, गुणवत्ता का अभाव और बच्चों का स्कूल छोड़ने की दर अधिक है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार न होने के कारण युवा वर्ग को रोजगार के अवसर सीमित मिलते हैं, जिससे राज्य की विकास दर प्रभावित होती है।
(b) स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बहुत खराब है। राज्य में पर्याप्त अस्पताल, डॉक्टर, और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। यह ग्रामीण क्षेत्रों में और भी अधिक समस्याग्रस्त है, जहां लोग बुनियादी चिकित्सा सेवाओं के लिए भी संघर्ष करते हैं। इसके कारण राज्य में मृत्यु दर अधिक है और जीवन स्तर कम है, जिससे राज्य की समग्र सामाजिक स्थिति प्रभावित होती है।
- सामाजिक असमानता
(a) जातिवाद और सामाजिक भेदभाव
बिहार में जातिवाद और सामाजिक भेदभाव की समस्याएं गंभीर हैं। समाज के विभिन्न वर्गों में असमानता, भेदभाव और ऊंच-नीच की भावना ने सामाजिक संरचना को प्रभावित किया है। सरकारों ने इस असमानता को समाप्त करने के लिए कुछ योजनाएं बनाई हैं, लेकिन इन योजनाओं का प्रभाव सीमित ही रहा है। उच्च जातियों और निम्न जातियों के बीच गहरी खाई है, जो विकास में रुकावट डालती है।
(b) महिला सशक्तिकरण की स्थिति
महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों की कमी भी बिहार में एक महत्वपूर्ण समस्या है। महिला सशक्तिकरण के लिए राज्य में कई योजनाएं बनाई गई हैं, लेकिन फिर भी समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है। यह सामाजिक असमानता और भेदभाव राज्य की विकास प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
- प्राकृतिक आपदाएँ
(a) बाढ़ की समस्या
बिहार में बाढ़ एक सामान्य समस्या है, विशेष रूप से उत्तर बिहार के क्षेत्रों में। गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे बसी यह भूमि हर साल बाढ़ का सामना करती है। बाढ़ के कारण किसानों की फसलें नष्ट हो जाती हैं, और स्थानीय क्षेत्रों में भारी तबाही मचती है। इसके अलावा, राज्य की अवसंरचना और परिवहन नेटवर्क भी बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जिससे विकास में और भी रुकावट आती है।
(b) भूस्खलन और सूखा
बिहार में सूखा और भूस्खलन की समस्याएं भी हैं, जो फसलों और जीवन को प्रभावित करती हैं। प्राकृतिक आपदाओं के कारण राज्य में लगातार विकास के प्रयासों में रुकावट आती है।
- राज्य सरकार के प्रयास
हालांकि बिहार सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में राज्य के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण, और उद्योगों को बढ़ावा देना, लेकिन इन प्रयासों की सफलता काफी हद तक इन योजनाओं के सही कार्यान्वयन और सरकारी भ्रष्टाचार पर निर्भर करती है। कई योजनाओं का सही तरीके से कार्यान्वयन न हो पाने के कारण राज्य में अपेक्षित विकास की गति नहीं मिल पा रही
है।
निष्कर्ष
बिहार की पिछड़ी स्थिति का मुख्य कारण इसके ऐतिहासिक, राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक कारक हैं। राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार, समाज में असमानता, और प्राकृतिक आपदाएँ इस राज्य के विकास में रुकावट डाल रही हैं। हालांकि कुछ सुधार हुए हैं, लेकिन बिहार को पूरी तरह से विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए व्यापक और दीर्घकालिक रणनीतियों की आवश्यकता है, जो राज्य की संरचनात्मक समस्याओं को हल कर सके।