अगस्त 04, नई दिल्ली:
ओपेक देशों की ओर से कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी पर सहमति जताने के बाद एशियाई बाजारों में कच्चे तेल की कीमत में गिरावट दर्ज की गई है। इस फैसले का असर तुरंत बाजारों पर पड़ा और निवेशकों में अस्थिरता का माहौल बन गया।
ओपेक का फैसला: उत्पादन में ज़बरदस्त बढ़ोतरी
रविवार को आयोजित एक वर्चुअल बैठक में ओपेक (OPEC) देशों ने सितंबर 2025 से प्रतिदिन 5 लाख 47 हजार बैरल अतिरिक्त कच्चे तेल के उत्पादन पर सहमति जताई है। यह फैसला वैश्विक स्तर पर आपूर्ति को संतुलित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
इस घोषणा के बाद एशियाई बाज़ारों में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे ऊर्जा बाजार में हलचल मच गई।
ब्रेंट क्रूड पर असर: कीमतें कहां तक पहुंच सकती हैं?
- ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में भी अस्थिरता देखने को मिली है।
- अक्टूबर फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट का शॉर्ट-टर्म टारगेट अब $76 प्रति बैरल तक बढ़ गया है, जो पहले $72.07 प्रति बैरल था।
- बाज़ार विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 के अंत तक कीमतें $80–$82 प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।
अमेरिका-रूस तनाव भी बन रहा है कारक
इस बीच अमेरिका और रूस के बीच भू-राजनीतिक तनाव से वैश्विक कच्चे तेल आपूर्ति में व्यवधान की आशंका भी जताई जा रही है। यह स्थिति निवेशकों के लिए और भी अनिश्चितता पैदा कर रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि ये तनाव और गहराता है, तो ब्रेंट ऑयल की कीमतों में और उछाल देखने को मिल सकता है।
विशेषज्ञों की राय
“ओपेक के उत्पादन बढ़ाने के फैसले से अल्पकालिक राहत जरूर मिली है, लेकिन भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं अभी भी बनी हुई हैं। निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए,”
— डॉ. अजय जैन, एनर्जी एनालिस्ट, IEA
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों की स्थिति
तिथि | ब्रेंट क्रूड | डब्ल्यूटीआई क्रूड |
---|---|---|
03 अगस्त 2025 | $82.10 | $78.45 |
02 अगस्त 2025 | $83.55 | $79.20 |
01 अगस्त 2025 | $84.20 | $80.10 |
इस गिरावट का भारत पर क्या असर पड़ेगा?
भारत अपनी तेल जरूरतों का लगभग 85% आयात करता है। इसलिए:
- तेल सस्ता होगा तो पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें घट सकती हैं
- घरेलू मुद्रास्फीति (Inflation) पर नियंत्रण रह सकता है
- रुपया मज़बूत हो सकता है क्योंकि डॉलर की डिमांड घटेगी
हालांकि, यह निर्भर करेगा कि सरकार कितनी कटौती का लाभ आम लोगों को देती है
निष्कर्ष
कच्चे तेल की कीमत में गिरावट वैश्विक बाजारों के लिए एक अस्थायी राहत जरूर है, लेकिन भू-राजनीतिक परिस्थितियों और आगामी वैश्विक मांग के अनुसार कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। भारत जैसे आयात-आधारित देशों को इससे फ़ायदा मिल सकता है, बशर्ते हालात स्थिर रहें
लेखक: एडवोकेट मोहन कुमार
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OPEC Official Press Release – www.opec.org