नई दिल्ली, 5 सितंबर:
आज पूरे देश में शिक्षक दिवस बड़े उत्साह और सम्मान के साथ मनाया गया। यह दिन भारत के दूसरे राष्ट्रपति और महान दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर हर साल मनाया जाता है। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राजधानी दिल्ली में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 से देशभर के उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित किया।
इस आयोजन ने न केवल शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया बल्कि उन शिक्षकों के प्रति आभार भी व्यक्त किया जिन्होंने अपने समर्पण और मेहनत से छात्रों का भविष्य संवारने में अहम योगदान दिया।
शिक्षक दिवस का ऐतिहासिक महत्व
हर वर्ष 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन खासकर इसलिए चुना गया क्योंकि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मानना था कि यदि उनकी जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो यह उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान होगा।
- वे शिक्षा को जीवन का सबसे अहम हिस्सा मानते थे।
- उन्होंने कहा था कि “शिक्षक केवल ज्ञान का संवाहक ही नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण का आधार भी है।”
शिक्षक दिवस न केवल छात्रों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए यह याद दिलाने का अवसर है कि शिक्षक ही वास्तविक मार्गदर्शक होते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025: चयन प्रक्रिया और उद्देश्य
इस वर्ष के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 के लिए देशभर से शिक्षकों का चयन एक तीन-स्तरीय पारदर्शी और ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से किया गया।
चयन प्रक्रिया
- जिला स्तर – सबसे पहले शिक्षकों के नामांकन जिला स्तर पर किए गए।
- राज्य स्तर – इसके बाद चयनित नामों की समीक्षा राज्य स्तर की समितियों द्वारा की गई।
- राष्ट्रीय स्तर – अंत में राष्ट्रीय समिति ने अंतिम सूची तैयार की और राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत की।
उद्देश्य
इस पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य ऐसे शिक्षकों को पहचान और सम्मान देना है:
- जिन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाया।
- छात्रों को नवाचार, नैतिक मूल्यों और जीवन कौशल की दिशा में प्रेरित किया।
- शिक्षा प्रणाली को समयानुकूल और प्रगतिशील बनाने में योगदान दिया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का संबोधन
समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया।
- उन्होंने कहा कि भोजन, वस्त्र और आवास की तरह शिक्षा भी एक मूलभूत आवश्यकता है।
- एक संवेदनशील और निष्ठावान शिक्षक ही समाज को सही दिशा दिखा सकता है।
- बच्चों के सपनों को उड़ान देने में शिक्षक की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है।
आधुनिक शिक्षा की आवश्यकता
राष्ट्रपति मुर्मु ने पढ़ाई के तरीकों में बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया।
- शिक्षा बोझिल नहीं होनी चाहिए।
- स्मार्ट क्लासरूम, स्मार्ट ब्लैकबोर्ड और स्मार्ट शिक्षक आज की आवश्यकता हैं।
- बच्चों को जिज्ञासा और रचनात्मकता के साथ पढ़ने का अवसर मिलना चाहिए।
शिक्षकों की समाज में भूमिका
1. भविष्य निर्माण में योगदान
शिक्षक सिर्फ किताबों का ज्ञान नहीं देते बल्कि छात्रों को जीवन जीने की कला सिखाते हैं।
2. आदर्श प्रस्तुत करना
शिक्षक अपने व्यवहार और आचरण से विद्यार्थियों के लिए आदर्श बनते हैं।
3. नई पीढ़ी को दिशा देना
एक अच्छा शिक्षक समाज में बदलाव का वाहक होता है।
पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों की कहानियाँ
इस वर्ष राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार पाने वाले शिक्षकों की कहानियाँ बेहद प्रेरणादायक हैं।
- कुछ ने ग्रामीण इलाकों में पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों को फिर से स्कूल की ओर आकर्षित किया।
- कुछ ने डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दिया और स्मार्ट क्लासरूम विकसित किए।
- कुछ शिक्षकों ने विशेष जरूरत वाले बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ा।
ये कहानियाँ बताती हैं कि एक शिक्षक की मेहनत से समाज में कितना बड़ा बदलाव आ सकता है।
शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा
आज की शिक्षा प्रणाली में तेजी से बदलाव हो रहे हैं।
- नई शिक्षा नीति 2020 ने कौशल-आधारित शिक्षा और व्यावहारिक ज्ञान पर जोर दिया।
- डिजिटल लर्निंग, ऑनलाइन क्लास और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित लर्निंग मॉडल तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
- इस बदलाव में शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।
अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण
सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में शिक्षक दिवस अलग-अलग तारीखों पर मनाया जाता है।
- 5 अक्टूबर को यूनESCO द्वारा अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
- इस दिन का उद्देश्य विश्वभर में शिक्षकों की भूमिका और योगदान को सम्मान देना है।
भारत का शिक्षक दिवस इससे अलग और खास है क्योंकि यह हमारे महान दार्शनिक और राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन को समर्पित है।
शिक्षक दिवस पर छात्रों की भागीदारी
देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में आज विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।
- कहीं नाट्य प्रस्तुतियां हुईं, कहीं कविताओं का पाठ हुआ।
- छात्र-छात्राओं ने अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की।
- कई जगहों पर छात्रों ने शिक्षक बनकर कक्षा संचालित की, जिससे उन्हें शिक्षकों के कार्य की कठिनाई का अनुभव हुआ।
डिजिटल युग और शिक्षक
आज तकनीक शिक्षा का सबसे अहम हिस्सा बन गई है।
- स्मार्टफोन और इंटरनेट ने सीखने के तरीकों को बदल दिया है।
- ऑनलाइन क्लास, ई-लाइब्रेरी और डिजिटल कंटेंट ने शिक्षा को और सुलभ बनाया है।
लेकिन इस डिजिटल बदलाव के बीच भी शिक्षक की भूमिका कम नहीं हुई है, बल्कि और ज्यादा बढ़ गई है। क्योंकि तकनीक साधन है, शिक्षक ही दिशा देने वाले हैं।
शिक्षक दिवस हमें यह याद दिलाता है कि समाज में शिक्षक का स्थान सबसे ऊंचा होता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा देशभर के शिक्षकों को सम्मानित करना न केवल उनके योगदान की पहचान है बल्कि शिक्षा को और प्रभावी, नवाचारी और संवेदनशील बनाने की प्रेरणा भी है