तालाब में डूबने से तीन मासूम बच्चियों की मौत
दरभंगा, बिहार – 20 सितंबर।
दरभंगा जिले के जाले प्रखंड के मुरेठा गांव में शनिवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ। तालाब में डूबने से तीन बच्चियों की मौत हो गई। घटना की खबर मिलते ही पूरे गांव में मातम छा गया।
ग्रामीणों के अनुसार बच्चियां खेलते-खेलते तालाब के पास गई थीं। अचानक उनमें से एक का पैर फिसला और वह गहरे पानी में गिर गई। बाकी दो बच्चियां उसे बचाने पहुंचीं। हालांकि, वे भी डूब गईं। नतीजतन, तीनों की मौत हो गई।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शोक संदेश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस घटना पर गहरी संवेदना जताई। उन्होंने कहा कि यह हादसा बेहद दुखद है। तीन मासूम बच्चियों का इस तरह असमय दुनिया छोड़ देना पूरे समाज के लिए पीड़ादायक है।
सीएम ने ईश्वर से प्रार्थना की कि मृत बच्चियों के परिवारों को धैर्य और शक्ति मिले। इसके अलावा उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि पीड़ित परिवारों को तुरंत सहायता दी जाए।
आर्थिक सहायता का ऐलान
सीएम ने मृत बच्चियों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये अनुग्रह अनुदान देने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि सहायता राशि अविलंब पीड़ितों तक पहुंचनी चाहिए।
प्रशासन की भूमिका और राहत कार्य
हादसे के तुरंत बाद प्रशासन हरकत में आया। जिला प्रशासन ने स्थानीय अधिकारियों को मौके पर भेजा। शवों को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया।
बिहार सरकार की नीति के अनुसार, दुर्घटना में जान गंवाने वालों के परिजनों को आर्थिक सहायता दी जाती है। इस बार भी वही प्रक्रिया अपनाई गई। इसलिए मृतकों के परिजनों को अब चार-चार लाख रुपये की राशि दी जाएगी।
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गांव वालों की आंखों देखा हाल
गांव के लोगों ने हादसे का हाल बताया। एक बुजुर्ग ने कहा,
“बच्चियां खेलते-खेलते तालाब में पहुंच गई थीं। जब शोर सुनाई दिया तो हम दौड़कर पहुंचे। हालांकि, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।”
एक महिला ने कहा,
“पलभर में तीन घर उजड़ गए। किसी ने सोचा भी नहीं था कि खेलते-खेलते इतना बड़ा हादसा हो जाएगा।”
इन बयानों से साफ है कि पूरा गांव सदमे में है।
मातम का माहौल और परिवार की हालत
घटना के बाद से पीड़ित परिवारों का रो-रोकर बुरा हाल है। बच्चियों की मां बार-बार बेहोश हो रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने ऐसा दर्दनाक मंजर पहले कभी नहीं देखा।
गांव के हर घर में सन्नाटा पसरा है। लोग एक-दूसरे से मिलकर सांत्वना दे रहे हैं। हालांकि, किसी के पास परिवार के दुख को कम करने के लिए शब्द नहीं हैं।
सुरक्षा उपायों की कमी – बड़ा सवाल
यह हादसा केवल एक त्रासदी नहीं है। बल्कि, यह सवाल भी खड़ा करता है कि तालाब और जलाशयों के पास सुरक्षा इंतज़ाम क्यों नहीं होते।
ग्रामीणों की मांग
- तालाबों के चारों ओर बैरिकेडिंग हो।
- चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं।
- बच्चों को पानी के खतरों के बारे में जागरूक किया जाए।
- निगरानी समिति बनाई जाए।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में पानी से जुड़ी दुर्घटनाएं अक्सर होती हैं। इसलिए, सरकार और समाज दोनों को मिलकर काम करना होगा।
बिहार में पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे
दरभंगा की यह घटना कोई पहली नहीं है। बिहार में हर साल ऐसे हादसे सामने आते हैं।
- सहरसा (2024): तालाब में डूबकर दो बच्चों की मौत।
- मधुबनी (2023): बाढ़ में बहकर तीन बच्चों की मौत।
- समस्तीपुर (2022): तालाब में नहाने गए पांच किशोरों की मौत।
इन घटनाओं से यह साफ होता है कि सुरक्षा उपायों की कमी गंभीर समस्या है।
बच्चों की सुरक्षा – माता-पिता और समाज की जिम्मेदारी
बच्चों की सुरक्षा केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। माता-पिता और समाज को भी जागरूक रहना होगा।
- माता-पिता बच्चों को तालाब के पास खेलने से रोकें।
- स्कूलों में बच्चों को जल सुरक्षा के बारे में पढ़ाया जाए।
- गांव के लोग सामूहिक निगरानी रखें।
हालांकि, सरकार को भी अपनी भूमिका निभानी होगी।
हादसे का सामाजिक और मानसिक असर
इस हादसे का असर केवल तीन परिवारों तक सीमित नहीं है। पूरा गांव गहरे सदमे में है। बच्चे अब तालाब के पास जाने से डर रहे हैं।
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि बच्चियों की असमय मौत ने सभी को अंदर से हिला दिया है। इसलिए अब सभी चाहते हैं कि ऐसे हादसे दोबारा न हों।
विपक्ष और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इस हादसे पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि सरकार केवल मुआवजा देकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकती।
उन्होंने मांग की है कि—
- सभी तालाबों का सर्वे किया जाए।
- जहां जरूरत हो वहां बैरिकेडिंग की जाए।
- गांवों में सुरक्षा समितियां बनाई जाएं।
आपदा प्रबंधन नीति की जरूरत
भारत और बिहार सरकार की नीतियों के अनुसार दुर्घटनाओं में मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिया जाता है। हालांकि, केवल मुआवजा देना पर्याप्त नहीं है।
इस नीति में अब निवारक उपायों को भी शामिल करना चाहिए। अगर सुरक्षा पर पहले ध्यान दिया जाए तो ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता है।
सोशल मीडिया पर चर्चा
यह खबर सोशल मीडिया पर तेजी से फैली। कई लोगों ने बच्चियों की मौत पर दुख जताया। कुछ ने लिखा कि अब समय आ गया है कि सरकार तालाबों की सुरक्षा पर ध्यान दे।
लोगों ने सवाल किया कि आखिर कब तक मासूम जानें इस तरह हादसों की भेंट चढ़ती रहेंगी।
निष्कर्ष – सबक लेने की जरूरत
दरभंगा जिले के मुरेठा गांव का यह हादसा बेहद दर्दनाक है। तीन बच्चियों की मौत ने परिवारों को तोड़ दिया। पूरा गांव गमगीन है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संवेदना जताई और 4-4 लाख रुपये का अनुग्रह अनुदान दिया। यह कदम पीड़ितों को थोड़ी राहत देगा। हालांकि, असली सवाल यह है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या किया जाएगा।
कुल मिलाकर, यह हादसा हमें यह सबक देता है कि सुरक्षा उपायों की अनदेखी भारी पड़ सकती है। इसलिए अब सरकार, समाज और परिवार सभी को मिलकर जिम्मेदारी निभानी होगी।