राष्ट्रपति भवन ई-उपहार नीलामी: सांस्कृतिक धरोहर से समाज सेवा तक का अनोखा सफर
नई दिल्ली, 19 सितम्बर: राष्ट्रपति भवन द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सहित पांच पूर्व राष्ट्रपतियों को विभिन्न अवसरों पर मिले चुनिंदा उपहारों की नीलामी इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है। यह नीलामी ई-उपहार (e-Uphaar) नामक आधिकारिक ऑनलाइन पोर्टल पर हो रही है।
यह नीलामी केवल वस्तुओं की बिक्री नहीं है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर, सामाजिक जिम्मेदारी और पारदर्शिता का संगम भी है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि यह पहल क्यों महत्वपूर्ण है, इसमें क्या-क्या शामिल है और इसका समाज पर क्या असर होगा।
नीलामी की शुरुआत और पृष्ठभूमि
25 जुलाई 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपने कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे होने के अवसर पर इस नीलामी प्रक्रिया के दूसरे संस्करण का शुभारंभ किया।
- नीलामी 1 अगस्त से शुरू हुई और यह 30 सितम्बर 2025 तक चलेगी।
- कुल 260 उपहार नीलामी के लिए रखे गए हैं।
- अब तक 178 उपहारों की सफल नीलामी हो चुकी है।
- कीमतें ₹4,300 से लेकर ₹4,02,500 तक तय की गई हैं।
किन-किन राष्ट्रपतियों के उपहार शामिल हैं?
इस बार की नीलामी में वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के अलावा पांच पूर्व राष्ट्रपतियों को मिले उपहार शामिल हैं। इनमें ऐसे स्मृति-चिह्न, कलाकृतियाँ, पेंटिंग्स, हैंडलूम उत्पाद और मूल्यवान वस्तुएँ हैं, जिन्हें भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक माना जाता है।
महिला सशक्तिकरण और समाज सेवा की दिशा में बड़ा कदम
नीलामी से प्राप्त धनराशि का उपयोग महिला सशक्तिकरण, बच्चों की शिक्षा और जरूरतमंद लोगों के कल्याण के लिए किया जाएगा।
यह पहल यह भी दर्शाती है कि राष्ट्र के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठे लोग भी अपने उपहारों का उपयोग केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि समाज के हित में कर रहे हैं।
ई-उपहार पोर्टल क्या है?
ई-उपहार एक सरकारी पोर्टल है जिसे खास तौर पर इस नीलामी प्रक्रिया के लिए बनाया गया है।
- यह डिजिटल इंडिया अभियान का हिस्सा है।
- नीलामी प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है।
- कोई भी व्यक्ति इस पोर्टल पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकता है और बोली लगा सकता है।
- इससे आम जनता को राष्ट्रपति भवन की सांस्कृतिक धरोहरों से जुड़ने का अवसर मिलता है।
👉 ई-उपहार पोर्टल पर जाकर कोई भी बोली लगा सकता है। https://visit.rashtrapatibhavan.gov.in/
उपहारों की विविधता और महत्व
इस नीलामी में शामिल उपहार भारतीय कला, संस्कृति और कूटनीतिक संबंधों का परिचायक हैं।
- विदेशी प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए स्मृति-चिह्न
- भारत की लोककलाओं की झलक
- पारंपरिक हैंडलूम और हस्तशिल्प उत्पाद
- ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वस्तुएँ
इन उपहारों की बिक्री न केवल संग्रहालय के लिए जगह बनाने का काम करती है, बल्कि उन्हें जनता तक पहुँचाने का माध्यम भी है।
पारदर्शिता और विश्वास
भारत की लोकतांत्रिक परंपरा में पारदर्शिता हमेशा महत्वपूर्ण रही है। उपहारों की इस नीलामी से यह संदेश जाता है कि लोकतंत्र में सर्वोच्च पद भी जवाबदेह है और जनता की सेवा ही उसका लक्ष्य है।
मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया
जब से नीलामी की शुरुआत हुई है, आम जनता और मीडिया में इसकी खूब चर्चा हो रही है।
- कुछ लोग इसे “जनभागीदारी का नया मॉडल” कह रहे हैं।
- वहीं विशेषज्ञ मानते हैं कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास है।
- युवाओं और महिलाओं में भी इस नीलामी के प्रति उत्साह देखा जा रहा है।
राष्ट्रपति भवन ई-उपहार नीलामी: आर्थिक और सामाजिक असर
1. आर्थिक योगदान
नीलामी से जुटाई गई धनराशि का उपयोग कल्याणकारी योजनाओं में किया जा रहा है। यह सरकार पर अतिरिक्त बोझ डाले बिना समाज सेवा की दिशा में संसाधन उपलब्ध कराती है।
2. सांस्कृतिक संरक्षण
नीलामी में शामिल वस्तुएँ भारतीय संस्कृति और परंपरा की झलक देती हैं। इन वस्तुओं का मूल्य केवल आर्थिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भी है।
3. समाज सेवा का संदेश
देश के प्रथम नागरिक का यह कदम जनता को प्रेरित करता है कि निजी संसाधनों का उपयोग समाज के लिए कैसे किया जा सकता है।
पिछले संस्करण की सफलता
ई-उपहार नीलामी का पहला संस्करण भी काफी सफल रहा था।
- पहले चरण में हज़ारों लोगों ने बोली लगाई।
- कई वस्तुएँ अपेक्षा से कहीं अधिक कीमत पर बिकीं।
- जुटाई गई राशि से महिला शिक्षा और स्वास्थ्य कार्यक्रमों को मदद मिली।
अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण
विदेशों में भी इस तरह की नीलामी की परंपरा रही है। कई देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अपने उपहारों को सार्वजनिक नीलामी में बेचते हैं। भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक बन रहा है।
कैसे करें भागीदारी?
अगर आप इस नीलामी में शामिल होना चाहते हैं तो आपको केवल ई-उपहार पोर्टल पर जाकर रजिस्टर करना होगा।
- पोर्टल पर सभी वस्तुओं की पूरी लिस्ट उपलब्ध है।
- हर वस्तु की तस्वीर, न्यूनतम बोली और विवरण दिया गया है।
- बोली लगाने की अंतिम तिथि 30 सितम्बर 2025 है।
👉 पूरी जानकारी आप Madhubani Times पर भी पढ़ सकते हैं।
राष्ट्रपति भवन ई-उपहार नीलामी केवल वस्तुओं की खरीद-फरोख्त नहीं है, बल्कि यह समाज सेवा, सांस्कृतिक संरक्षण और पारदर्शिता की एक अनूठी पहल है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और उनके पूर्ववर्तियों द्वारा मिले उपहार अब जनता की धरोहर बन रहे हैं।
इस नीलामी से मिली राशि जब महिला सशक्तिकरण, बच्चों की शिक्षा और जरूरतमंदों की मदद में लगेगी, तब यह पहल लोकतंत्र और जनसेवा की एक सशक्त मिसाल के रूप में दर्ज होगी।
✍️ लेखक: एडवोकेट मोहन कुमार