किशनगंज से प्रतिबंधित संगठन PFI का सदस्य मोहम्मद महबूब आलम नदवी गिरफ्तार

लेखक: एडवोकेट मोहन कुमार | MadhubaniTimes.com

किशनगंज से प्रतिबंधित संगठन PFI का सदस्य मोहम्मद महबूब आलम नदवी गिरफ्तार। बिहार पुलिस और NIA ने संयुक्त कार्रवाई में हलीम चौक से उसे पकड़ा, जिससे सीमांचल क्षेत्र में हलचल मच गई।

गौरतलब है कि, आतंकी गतिविधियों, टेरर फंडिंग और युवाओं में कट्टरपंथ फैलाने के आरोपों के चलते भारत सरकार ने सितंबर 2022 में PFI पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया था। किशनगंज से हुई ताज़ा गिरफ्तारी से उम्मीद है कि सीमांचल में सक्रिय PFI नेटवर्क, हवाला फंडिंग और नेपाल-बंगाल कनेक्शन का बड़ा खुलासा हो सकता है।

गिरफ्तारी का घटनाक्रम

बिहार पुलिस की विशेष टीम ने NIA के साथ मिलकर किशनगंज शहर के हलीम चौक क्षेत्र में छापेमारी की। यहां से PFI के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मौलाना बताए जा रहे मोहम्मद महबूब आलम नदवी को गिरफ्तार किया गया।

सूत्रों के अनुसार, नदवी लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर था। उसकी गतिविधियों पर नज़र रखते हुए इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस, गुप्तचर रिपोर्ट और बैंकिंग ट्रांजेक्शन की जांच की जा रही थी। गिरफ्तारी के दौरान कई डिजिटल डिवाइस, दस्तावेज़ और संदिग्ध लेन-देन का रिकॉर्ड भी जब्त किया गया है।


टेरर फंडिंग और हवाला नेटवर्क की जांच

महबूब नदवी पर आरोप है कि वह हवाला चैनल के ज़रिए आतंकवादियों और प्रतिबंधित संगठनों को फंड मुहैया कराता था।

  • हवाला एक ग़ैर-क़ानूनी धन हस्तांतरण प्रणाली है, जिसमें बिना बैंकिंग चैनल और रिकॉर्ड के पैसों का लेन-देन किया जाता है।
  • जांच एजेंसियों को शक है कि नदवी के जरिए विदेशों, ख़ासकर UAE और कतर से भारी मात्रा में धन भारत लाया जाता था।
  • यह पैसा संगठन की गुप्त बैठकों, हथियार खरीद और कट्टरपंथी प्रचार सामग्री पर खर्च किया जाता था।

NIA की पिछली रिपोर्टों में यह साफ हुआ था कि PFI के पास करोड़ों रुपये का हवाला नेटवर्क है, जिसके तार खाड़ी देशों से जुड़े हैं।

नेपाल-बंगाल कनेक्शन

किशनगंज भौगोलिक रूप से बेहद संवेदनशील इलाका है, क्योंकि यह नेपाल और पश्चिम बंगाल की सीमाओं से सटा हुआ है।

  • नदवी के संपर्क सिलीगुड़ी, इस्लामपुर और उत्तर बंगाल के कई कस्बों में पाए गए हैं।
  • नेपाल के तराई इलाके में भी उसकी आवाजाही दर्ज की गई थी।
  • बिहार के ठाकुरगंज, पौआखाली और बहादुरगंज जैसे सीमाई इलाकों में भी वह लगातार सक्रिय रहता था।

जांच एजेंसियों को शक है कि इस नेटवर्क का इस्तेमाल संदिग्ध लोगों की आवाजाही, नकली नोटों की तस्करी और युवाओं को कट्टरपंथ की ट्रेनिंग देने में किया जाता था।


क्यों लगाया गया PFI पर प्रतिबंध?

भारत सरकार ने 2022 में PFI और उससे जुड़े आठ संगठनों पर प्रतिबंध लगाया था। कारण थे:

  1. आतंकी संगठनों से संबंध – NIA और ED की रिपोर्टों में PFI के कनेक्शन ISIS और JMB (जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश) से पाए गए।
  2. टेरर फंडिंग – संगठन पर आरोप है कि यह हवाला और NGO के जरिए पैसा जुटाकर आतंकी गतिविधियों को फंड करता है।
  3. हिंसक गतिविधियां – कई बार देश के अलग-अलग हिस्सों में हिंसा भड़काने और दंगे फैलाने में PFI का नाम सामने आया।
  4. कट्टरपंथ फैलाना – युवाओं को गुप्त ट्रेनिंग कैंपों में शारीरिक और मानसिक रूप से कट्टरपंथी विचारधारा के लिए तैयार करना।

महबूब आलम नदवी का रोल

महबूब आलम नदवी को PFI का प्रभावशाली चेहरा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बताया जाता है।

  • वह धार्मिक उपदेशक होने के साथ-साथ संगठन की कई रणनीतिक बैठकों का हिस्सा रहा है।
  • युवाओं को जोड़ने और उन्हें कट्टरपंथ की ओर मोड़ने में उसकी मुख्य भूमिका रही।
  • आरोप है कि उसने सोशल मीडिया और धार्मिक सभाओं के जरिए लोगों को प्रभावित करने की कोशिश की।

सीमांचल में PFI का बढ़ता दखल

किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया का इलाका, जिसे बिहार का सीमांचल कहा जाता है, PFI के लिए हमेशा उपजाऊ ज़मीन माना गया है।

  • यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी और नेपाल-बंगाल की नज़दीकी संगठन को ताकत देती रही है।
  • पिछले कुछ वर्षों में यहां कई छिपी हुई ट्रेनिंग गतिविधियां और संदिग्ध फंडिंग पैटर्न सामने आए हैं।
  • स्थानीय युवाओं को शिक्षा और रोजगार के नाम पर जोड़कर धीरे-धीरे कट्टरपंथ की ओर ले जाया गया।

सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती

नदवी की गिरफ्तारी सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी सफलता है, लेकिन चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है।

  • पूरे नेटवर्क का खुलासा करना – कौन-कौन लोग उसके संपर्क में थे?
  • विदेशी फंडिंग का ट्रैक – पैसा किन-किन रास्तों से भारत आ रहा था?
  • स्थानीय स्तर पर मददगार – सीमांचल में कौन लोग संगठन को बचा रहे थे?

राजनीतिक और सामाजिक असर

PFI पर कार्रवाई का असर केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव भी गहरे हैं।

  • कुछ क्षेत्रों में PFI ने खुद को सामाजिक संगठन बताकर पैठ बनाई थी।
  • गिरफ्तारी के बाद कई स्थानीय नेता और धार्मिक संगठनों पर भी सवाल उठ रहे हैं।
  • समाज में कट्टरपंथ बनाम शांति की बहस एक बार फिर तेज हो गई है।

अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन और खतरा

NIA की रिपोर्टों के अनुसार, PFI के तार अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठनों से जुड़े रहे हैं।

  • ISIS से वैचारिक समर्थन और ट्रेनिंग सामग्री का आदान-प्रदान।
  • जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) के साथ नेपाल और बंगाल बॉर्डर पर लॉजिस्टिक सपोर्ट।
  • खाड़ी देशों से फंडिंग और भर्ती अभियान

इससे साफ है कि PFI केवल भारत तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका नेटवर्क वैश्विक स्तर पर फैला हुआ था।


सरकार और जनता की प्रतिक्रिया

  • बिहार पुलिस ने कहा है कि यह गिरफ्तारी आतंकी नेटवर्क के खिलाफ एक बड़ी सफलता है।
  • केंद्रीय गृहमंत्रालय ने भी एजेंसियों की कार्रवाई की सराहना की है।
  • आम नागरिकों में राहत है कि सीमांचल जैसे संवेदनशील क्षेत्र से एक बड़ा संदिग्ध पकड़ा गया।

भविष्य की कार्रवाई

सूत्रों के अनुसार, अब NIA नदवी को दिल्ली या पटना में विशेष अदालत में पेश करेगी।

  • उसकी कस्टडी में पूछताछ होगी।
  • डिजिटल उपकरणों से मिले डेटा का विश्लेषण किया जाएगा।
  • हवाला नेटवर्क और नेपाल-बंगाल कनेक्शन की गहन जांच की जाएगी।

किशनगंज से PFI सदस्य मोहम्मद महबूब आलम नदवी की गिरफ्तारी न केवल सीमांचल, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए अहम है। इस कार्रवाई से उम्मीद है कि आतंकी फंडिंग, नेपाल-बंगाल कनेक्शन और संगठन के छिपे नेटवर्क पर से पर्दा उठेगा।

भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती है कि वे इस गिरफ्तारी को आधार बनाकर पूरे नेटवर्क को खत्म करें ताकि आने वाले समय में देश की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द को मज़बूत किया जा सके।

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विशेष जानकारी के लिए आप राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की आधिकारिक वेबसाइट पर भी देख सकते हैं – https://www.nia.gov.in

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