संसद मानसून सत्र को लेकर मंत्रियों की बैठक, सर्वदलीय बैठक आज

नई दिल्ली – संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है, और इसे सुचारु रूप से संचालित करने की रणनीति पर चर्चा के लिए शुक्रवार शाम एक अहम बैठक आयोजित की गई। यह बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर हुई, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत कई वरिष्ठ मंत्री और नेता शामिल हुए।

इस बैठक का उद्देश्य संसद के मानसून सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले विधेयकों, संभावित बहसों और विपक्ष द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों को लेकर सरकार की रणनीति को अंतिम रूप देना था। सूत्रों के अनुसार, बैठक में सत्र को बिना व्यवधान के प्रभावी रूप से संचालित करने पर विशेष जोर दिया गया।

सर्वदलीय बैठक आज, विपक्ष भी तैयार

सरकार ने सत्र से एक दिन पहले यानी आज, 20 जुलाई को संसद भवन परिसर में सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में सभी राजनीतिक दलों से सहयोग की अपील की जाएगी, ताकि मानसून सत्र में विधायी कार्य बिना रुकावट पूरे किए जा सकें।

उधर, विपक्षी दलों ने भी कमर कस ली है। जानकारी के अनुसार, वे इस सत्र में बिहार में वोटर सूची पुनरीक्षण, महंगाई, बेरोजगारी, और कृषि से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाने की योजना बना रहे हैं।

क्या है मानसून सत्र का एजेंडा?

इस बार के मानसून सत्र में सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पेश करने जा रही है, जिनमें से कुछ का सीधा संबंध आम जनता से है। साथ ही कुछ पुराने लंबित विधेयकों पर भी चर्चा और पारित कराने की योजना है।

सत्र के दौरान जिन विषयों पर ज़ोर रहेगा, वे हैं:

  • जनकल्याण से जुड़े विधेयक
  • डिजिटल और साइबर सुरक्षा से संबंधित कानून
  • आर्थिक सुधारों से जुड़े प्रस्ताव
  • शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े संशोधन

सरकार और विपक्ष दोनों के लिए परीक्षा की घड़ी

यह सत्र राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है क्योंकि कई राज्यों में चुनाव नज़दीक हैं और जनता की नजरें संसद में उठने वाले मुद्दों और सरकार के रुख पर टिकी होंगी।

सरकार की कोशिश रहेगी कि वह कानून-व्यवस्था, विकास, और नीतिगत स्पष्टता के अपने एजेंडे को प्रभावी ढंग से पेश कर सके, जबकि विपक्ष उसे जवाबदेह बनाने के प्रयास में रहेगा।

जैसे-जैसे 21 जुलाई नजदीक आ रहा है, संसद का माहौल गर्माता दिख रहा है। एक ओर सरकार सत्र को शांतिपूर्वक चलाने की रणनीति बना रही है, वहीं विपक्ष तीखे सवालों के साथ पूरी तैयारी में है। अब देखना होगा कि इस मानसून सत्र में कौन-सी आवाजें बुलंद होती हैं और क्या जनता को कुछ ठोस परिणाम देखने को मिलते हैं।

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