Dated 26 July 2025
ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में विशेष चर्चा क्यों अहम है
“ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर संसद में बड़ा कदम उठाया गया है। 28 जुलाई को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा आयोजित की जाएगी। यह निर्णय लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में हुई कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में लिया गया। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की इस जवाबी कार्रवाई पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि सोमवार को लोकसभा और मंगलवार को राज्यसभा में इस मुद्दे पर 16-16 घंटे की विस्तृत चर्चा तय की गई है।
इस विशेष चर्चा के दौरान, केंद्र सरकार अपनी कार्रवाई और नीति को देश के सामने रखेगी और विपक्ष भी अपनी राय प्रकट करेगा। ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में विशेष चर्चा इसलिए भी अहम है क्योंकि यह पहली बार है जब आतंकवाद के जवाब में किए गए एक सैन्य अभियान पर इतने विस्तृत रूप से संसद में विचार होगा।
ऑपरेशन सिंदूर क्या है?
ऑपरेशन सिंदूर भारत सरकार और सुरक्षा बलों द्वारा जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के बाद चलाया गया एक विशेष सैन्य अभियान है। यह ऑपरेशन भारतीय सैनिकों की शौर्य, रणनीति और तीव्र कार्रवाई का प्रतीक माना जा रहा है।
इस अभियान के दौरान भारतीय सेना ने आतंकियों के ठिकानों को नष्ट किया, कुछ आतंकियों को ढेर किया गया और कुछ को गिरफ्तार किया गया। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट और स्थानीय सुरक्षाबलों के सहयोग से यह अभियान सफल रहा और इससे क्षेत्र में शांति की उम्मीद बनी है।
लोकसभा में चर्चा का एजेंडा क्या है?
28 जुलाई को लोकसभा में विशेष चर्चा के लिए जो एजेंडा तय किया गया है, उसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
- जम्मू-कश्मीर की वर्तमान सुरक्षा स्थिति
- पहलगाम आतंकी हमला: समय, तरीके और असर
- ऑपरेशन सिंदूर की रूपरेखा और उपलब्धियाँ
- भविष्य की रणनीति: सुरक्षा और कूटनीतिक प्रतिक्रिया
- विपक्ष और सत्ताधारी दल की राय
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संदेश
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की भूमिका
लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला की अध्यक्षता में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि लोकसभा में सोमवार (28 जुलाई) और राज्यसभा में मंगलवार (29 जुलाई) को 16-16 घंटे की विस्तृत चर्चा की जाएगी।
इस निर्णय से यह संकेत भी मिलता है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर राष्ट्रहित में संसद को पूरी जानकारी देना चाहती है।
किरेन रिजिजू का बयान: विपक्ष से सहयोग की अपील
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विशेष चर्चा की जानकारी देते हुए यह अपील की कि विपक्ष इस चर्चा में बाधा न डाले और संसद का कार्य सुचारु रूप से चले। उन्होंने यह भी कहा कि “हमारा उद्देश्य है कि देश को भरोसा हो कि संसद देश की सुरक्षा के मुद्दों पर एकजुट है।”
उन्होंने यह भी बताया कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के मुद्दे को भी समानांतर रूप से संसद में उठाया जाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर और भारत की आतंकवाद विरोधी नीति
भारत हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाता आया है, चाहे वह सर्जिकल स्ट्राइक (2016) हो या बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019)।
ऑपरेशन सिंदूर भी इसी नीति का हिस्सा है, जहां भारत आतंकवाद को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं करता।
इस अभियान से यह स्पष्ट हो गया कि अब भारत पहले की तरह सिर्फ निंदा नहीं करेगा, बल्कि आतंकियों और उनके संरक्षकों के खिलाफ सीधी कार्रवाई करेगा।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
कई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और देशों ने भारत के इस स्टैंड की सराहना की है। अमेरिका, फ्रांस और जापान ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति का समर्थन किया और कहा कि इस तरह की कार्रवाई से वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत संदेश जाता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: विपक्ष और सत्ता आमने-सामने
जहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार इस अभियान को “न्याय का जवाब” बता रही है, वहीं कुछ विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं:
- क्या खुफिया एजेंसियों से चूक हुई?
- नागरिकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा रही है?
- ऑपरेशन सिंदूर के परिणामों की पारदर्शिता कहाँ है?
कांग्रेस, TMC और AAP जैसे विपक्षी दलों ने भी सरकार से स्पष्ट आंकड़े और ठोस रणनीति की मांग की है।
जनता की राय और सोशल मीडिया प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर #OperationSindoor और #KargilSpirit जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
लोगों ने भारतीय सेना की बहादुरी की सराहना की है, साथ ही यह भी मांग की है कि आतंकियों को संरक्षण देने वाले देशों के खिलाफ कड़ा कूटनीतिक कदम उठाया जाए।
भविष्य की दिशा और सरकार की योजना
सरकार की अगली योजना में शामिल हैं:
- जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढांचे को और मजबूत करना
- इंटेलिजेंस नेटवर्क को अपग्रेड करना
- युवाओं को आतंकवाद से दूर रखने के लिए रोजगार और शिक्षा कार्यक्रम
- आतंकवाद समर्थित देशों के खिलाफ वैश्विक मंचों पर आवाज़ उठाना
एक निर्णायक चर्चा का समय
ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में विशेष चर्चा भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली की ताकत का उदाहरण है। यह दर्शाता है कि एक लोकतांत्रिक राष्ट्र कैसे आतंकवाद जैसे संवेदनशील विषय पर भी खुलकर विमर्श कर सकता है। यह चर्चा केवल शब्दों का आदान-प्रदान नहीं होगी, बल्कि एक नई सुरक्षा नीति की दिशा भी तय करेगी।