भारत की 10 करोड़ महिलाएं अब कैंसर के खतरे से बाहर – जानिए कैसे हुआ ये चमत्कार!

एक चमत्कार जो सच्चाई बन गया

भारत की 10 करोड़ महिलाएं सर्वाइकल कैंसर जैसी घातक बीमारी के खतरे से अब काफी हद तक सुरक्षित हो चुकी हैं। आयुष्मान आरोग्य मंदिरों और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत शुरू किए गए देशव्यापी जांच अभियान के चलते यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की गई है।

क्या है सर्वाइकल कैंसर?

सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के गर्भाशय ग्रीवा (cervix) को प्रभावित करने वाला एक घातक रोग है, जो प्रायः लक्षणों के बिना विकसित होता है और देर से पकड़ में आता है।
हर साल लाखों महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आती हैं, लेकिन समय पर जांच और इलाज से इसे रोका जा सकता है।

आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का कमाल

भारत सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत देशभर में आयुष्मान आरोग्य मंदिर (AAMs) स्थापित किए हैं। इन केंद्रों पर सामान्य बीमारियों के साथ-साथ कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की जांच भी की जाती है।

👉 इन्हीं केंद्रों पर VIA (Visual Inspection with Acetic Acid) तकनीक के माध्यम से 30 से 65 वर्ष की महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर जांच की जा रही है।

आंकड़े जो गर्व से भर देते हैं

मापदंडआंकड़ा
कुल लक्षित महिला जनसंख्या (30+ आयु)25.42 करोड़
अब तक जांच हो चुकी महिलाएं10.18 करोड़
VIA तकनीक द्वारा जांच100% प्राथमिक स्तर पर
रिपोर्टिंग पोर्टलराष्ट्रीय एनसीडी पोर्टल (NCD Portal)

🔔 ये आंकड़े 20 जुलाई 2025 तक के हैं, जिन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोकसभा में प्रस्तुत किया

ज़मीनी स्तर पर ASHA बहनों की भूमिका

भारत के गांव-गांव में सक्रिय आशा कार्यकर्ता (ASHA Workers) इस पूरे अभियान की रियल हीरोइन हैं:

  • वे CBAC फॉर्म के ज़रिए संभावित मरीजों की पहचान करती हैं
  • घर-घर जाकर महिलाओं को जांच के लिए प्रेरित करती हैं
  • उन्हें AAM केंद्र तक ले जाने और फॉलोअप में सहयोग करती हैं

इन्हीं के कारण लाखों ग्रामीण महिलाएं पहली बार किसी कैंसर जांच में शामिल हो पाईं।

जागरूकता अभियान से बढ़ा विश्वास

सरकार ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाने पर जोर दिया। इसके अंतर्गत:

  • राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस और विश्व कैंसर दिवस पर आयोजन
  • सोशल मीडिया, टेलीविज़न, रेडियो और प्रिंट मीडिया के माध्यम से प्रचार
  • स्वास्थ्य मेले और पंचायत स्तर पर चर्चा

इन माध्यमों से महिलाओं में यह विश्वास जागा कि यह जांच जीवन बचा सकती है।

समयबद्ध कैंसर स्क्रीनिंग अभियान

20 फरवरी से 31 मार्च 2025 के बीच एक विशेष NCD स्क्रीनिंग अभियान चलाया गया।
इस अभियान में:

  • प्रत्येक जिले में लक्ष्य तय किया गया
  • मोबाइल स्वास्थ्य यूनिट्स का संचालन हुआ
  • ग्राम पंचायत स्तर पर कैंप आयोजित किए गए

🔍 इसका सीधा परिणाम यह रहा कि कुछ ही हफ्तों में लाखों महिलाएं जांच से जुड़ गईं।

राज्यों को मिला विशेष फंड

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत सभी राज्यों को PIP (Programme Implementation Plans) के अनुसार फंड जारी किए गए:

  • जागरूकता फैलाने के लिए
  • VIA जांच किट्स, मेडिकल सप्लाई और स्टाफ ट्रेनिंग के लिए
  • मोबाइल यूनिट्स के संचालन हेतु

इससे स्थानीय स्तर पर सुविधाएं बेहतर हुईं और जांच की रफ्तार तेज़ हो गई

संसद में मंत्री ने क्या कहा?

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने लोकसभा में कहा:

“हमारा उद्देश्य है कि हर महिला तक समय रहते जांच सुविधा पहुंचे। हम एक ऐसा तंत्र बना रहे हैं जहां हर बीमारी का समय रहते निदान संभव हो।”

आगे का लक्ष्य: 100% कवरेज

अब सरकार का लक्ष्य है कि:

  • वर्ष 2026 तक कम से कम 75% महिलाएं जांच से गुजरें
  • वर्ष 2030 तक 100% कवरेज हासिल हो
  • HPV वैक्सीन को सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया जाए

इसके लिए राज्यों को तकनीकी सहायता, डेटा मॉनिटरिंग और विशेषज्ञ सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है।

यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, 10 करोड़ जिंदगी की जीत है

इस उपलब्धि के पीछे सरकार, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा बहनें और आम जनता का मिला-जुला प्रयास है।
हर महिला जो जांच के लिए गई, उसने न केवल खुद की रक्षा की, बल्कि अपने परिवार और समाज को भी एक संदेश दिया – “स्वास्थ्य सबसे बड़ी पूंजी है।

भारत की 10 करोड़ महिलाएं सर्वाइकल कैंसर के लिए जांच प्रक्रिया से गुज़रीं, जो आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के माध्यम से संभव हो पाया।

आप क्या कर सकते हैं?

अगर आप या आपके परिवार में कोई महिला 30 वर्ष या उससे अधिक उम्र की है, तो:

  • नजदीकी आयुष्मान आरोग्य मंदिर या PHC में VIA जांच जरूर करवाएं
  • स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से जानकारी लें
  • अपने मोहल्ले, गांव या महिला समूह में इस जानकारी को साझा करें

भारत की 10 करोड़ महिलाएं सर्वाइकल कैंसर की समय रहते पहचान से न सिर्फ सुरक्षित हुईं, बल्कि यह सरकार की स्वास्थ्य नीतियों की बड़ी जीत भी है।

लेखक:
Advocate Mohan Kumar

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