“बिहार पुलिस का सिपाही शराब तस्करी करते गिरफ्तार, सर्विस पिस्टल के साथ दबोचा गया”

भभुआ (कैमूर, बिहार):
बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद, राज्य की कानून व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। बिहार पुलिस का सिपाही शराब तस्करी करते गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी कैमूर जिले के भभुआ थाना क्षेत्र के सुवरा नदी के पास वाहन जांच के दौरान हुई।

पुलिस की गाड़ी से बरामद हुई शराब की बड़ी खेप

पुलिस ने जब एक स्कॉर्पियो गाड़ी को रोका, जिस पर ‘पुलिस’ का स्टीकर लगा हुआ था, तो शक हुआ। गाड़ी की तलाशी लेने पर 89 लीटर अंग्रेजी शराब और 6 कैन बीयर बरामद हुई। शराब को 478 बोतलों में छिपाकर रखा गया था।

गिरफ्तार आरोपी: बिहार पुलिस का जवान

गिरफ्तार लोगों में एक आरोपी विद्या चरण, खगड़िया निवासी और वर्तमान में बेगूसराय पुलिस बल में कार्यरत सिपाही है। उसके पास से सरकारी सर्विस पिस्टल और 6 जिंदा कारतूस भी बरामद किए गए हैं। दूसरे आरोपी का नाम गौतम कुमार, निवासी महेश्वरा गांव, थाना नाथकोठी, जिला बेगूसराय है।

पुलिस जांच में सामने आया चौंकाने वाला सच

भभुआ के एसडीपीओ उमेश कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें गुप्त सूचना मिली थी कि पुलिस की गाड़ी से शराब की तस्करी की जा रही है। इसी सूचना के आधार पर विशेष वाहन जांच अभियान चलाया गया।

जांच के दौरान जब गाड़ी को रुकवाया गया, तो उसमें सवार कुछ लोग भागने लगे। दो को पकड़ लिया गया, जबकि एक सिपाही फरार हो गया

पुलिस के सामने अब कई सवाल

  1. जब खुद पुलिस के लोग शराब तस्करी में शामिल हैं, तो कानून का पालन कौन करेगा?
  2. क्या शराबबंदी केवल आम नागरिकों के लिए है?
  3. क्या इस तस्करी नेटवर्क में और भी पुलिसकर्मी शामिल हैं?

बिहार की शराबबंदी पर सवाल

बिहार सरकार ने अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू की थी। लेकिन समय-समय पर शराब की बड़ी खेप बरामद होती रही है, वो भी कई बार सरकारी वाहनों या पुलिस स्टाफ की संलिप्तता के साथ। इस घटना ने फिर से शराबबंदी की वास्तविकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कानूनी कार्रवाई जारी

पुलिस ने दोनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। फरार सिपाही की तलाश जारी है और पुलिस सभी संभावित संपर्कों की टेलीफोनिक और डिजिटल जांच कर रही है।

बिहार पुलिस का सिपाही शराब तस्करी करते गिरफ्तार होना न केवल एक गंभीर अपराध है, बल्कि यह बिहार की कानून व्यवस्था पर एक काला धब्बा है। अब देखना यह होगा कि सरकार और पुलिस प्रशासन इस मामले में कितनी पारदर्शिता और सख्ती दिखाता है।

लेखक: Advocate Mohan Kumar

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