नई दिल्ली, 28 जुलाई — बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ कर दिया कि 1 अगस्त को जारी होने वाली ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर कोई रोक नहीं लगेगी।
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या कहता है?
सुनवाई के दौरान, जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि “सिर्फ आधार ही नहीं, बल्कि 11 में से 11 दस्तावेज़ भी जाली हो सकते हैं। यह एक अलग मुद्दा है। यदि कोई फर्जी दस्तावेज़ का उपयोग करता है, तो चुनाव आयोग उस पर कानूनी कार्रवाई करे।”
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह भी सुझाव दिया कि वह आधार और वोटर आईडी कार्ड को मतदाता पहचान के वैध दस्तावेज़ों के रूप में स्वीकार करने की संभावना पर विचार करे।
चुनाव आयोग की दलीलें
चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील ने कहा कि:
“राशन कार्ड, आधार और वोटर आईडी में कई तरह की गड़बड़ियां हैं। इसलिए आयोग सिर्फ इन्हीं दस्तावेजों को मान्यता नहीं दे सकता।”
उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग का उद्देश्य विस्तृत समावेशन (inclusive voter list) है ताकि किसी योग्य नागरिक को वोटर लिस्ट से बाहर न किया जाए।
1 अगस्त को जारी होगी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट
बिहार में चल रहा विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) एक संवेदनशील प्रक्रिया है जिसके तहत मतदाता सूची को अपडेट किया जा रहा है। इस प्रक्रिया का ड्राफ्ट 1 अगस्त को जारी किया जाएगा, जिसमें जनता से आपत्तियां मांगी जाएंगी।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करेगा, जिससे चुनाव आयोग को कार्य में बाधा न हो।
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दस्तावेज़ों की पहचान पर बहस
याचिकाकर्ताओं ने यह सवाल उठाया था कि मतदाता सूची में नाम दर्ज करने के लिए कौन-कौन से दस्तावेज मान्य हैं। इस पर कोर्ट ने कहा:
- केवल आधार या वोटर आईडी ही नहीं, बल्कि सभी दस्तावेज़ों की प्रामाणिकता की जांच चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है।
- फर्जी दस्तावेज़ों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
अदालत ने क्या सुझाव दिए?
- प्रमाणिक दस्तावेजों की एक मानक सूची बनाई जाए
- केवल एक या दो दस्तावेजों पर भरोसा करने के बजाय वैकल्पिक विकल्प दिए जाएं
- फर्जी दस्तावेज़ों के मामलों में कानून सम्मत कार्रवाई हो
सुप्रीम कोर्ट में क्या थी याचिका?
यह याचिका 24 जून को चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देश के खिलाफ थी, जिसमें कुछ दस्तावेजों को प्राथमिकता दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का दावा था कि इससे कई पात्र मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं।
अब कोर्ट ने विस्तृत सुनवाई के लिए बुधवार को अगली तारीख तय करने की बात कही है।
क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण?
- लोकतंत्र में निष्पक्ष चुनाव की नींव है सटीक वोटर लिस्ट
- यदि योग्य नागरिकों का नाम हट जाता है तो यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है
- सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव आयोग ट्रांसपेरेंसी और समावेशन के सिद्धांतों का पालन करे
बिहार: सुप्रीम कोर्ट ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर रोक लगाने से किया इनकार, यह फैसला चुनावी प्रक्रिया की दिशा में एक अहम कदम है। इससे स्पष्ट संदेश जाता है कि न्यायपालिका लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करना चाहती, लेकिन पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग जरूर करती है।