बीजिंग: भारी बारिश और बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त, 30 लोगों की मौत

लेखक: एडवोकेट मोहन कुमार
तारीख: 29 जुलाई 2025

चीन की राजधानी बीजिंग में पिछले कुछ दिनों से मूसलधार बारिश और अचानक आई बाढ़ ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस विनाशकारी आपदा में अब तक करीब 30 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और 80 हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है।

बीजिंग के उत्तरी जिलों में हालात बेहद खराब हैं। मियुन, हुआइरौ और यानकिंग जैसे इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, जहां लगातार हो रही बारिश ने सैकड़ों घरों और गांवों को पानी में डुबो दिया है।

राष्ट्रपति शी जिनपिंग का आदेश: हर जान बचाना प्राथमिकता

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हालात की गंभीरता को देखते हुए आपातकालीन बचाव कार्यों को प्राथमिकता देने का आदेश दिया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि लापता लोगों की खोज, घायल नागरिकों की चिकित्सा व्यवस्था और बेघर हुए लोगों के लिए सुरक्षित शरण स्थल की व्यवस्था युद्ध स्तर पर की जाए।

राष्ट्रपति जिनपिंग ने यह भी कहा कि प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी नागरिक बिना सहायता के न रह जाए।

मौसम विभाग ने जारी किया रेड अलर्ट

बीजिंग के मौसम विभाग ने इस प्राकृतिक आपदा को लेकर चेतावनी दी है। पहले ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया था, जिसे अब रेड अलर्ट में बदल दिया गया है। चीन का यह रेड अलर्ट सिस्टम मौसम संबंधित चेतावनियों का सबसे गंभीर स्तर है।

बारिश और बाढ़ की यह स्थिति 26 जुलाई से उत्पन्न हुई, जब सबट्रॉपिकल हाई प्रेशर के कारण गर्म और नम हवा बीजिंग की ओर बढ़ी। इससे तेज बारिश का सिलसिला शुरू हुआ, जो अब भी जारी है।

मियुन जिले में सबसे ज्यादा नुकसान

बीजिंग का मियुन जिला सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, जहां के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में 300 मिमी से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। इस भारी बारिश के कारण बाढ़, भूस्खलन और मिट्टी खिसकने जैसी घटनाएं सामने आई हैं, जिससे कई गांवों में रास्ते बंद हो गए हैं और बिजली-पानी जैसी मूलभूत सेवाएं ठप पड़ गई हैं।

स्थानीय प्रशासन द्वारा राहत कार्यों के लिए हजारों स्वयंसेवक और सेना की टुकड़ियां तैनात की गई हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य पैकेट, पेयजल, प्राथमिक उपचार सामग्री और तिरपाल जैसी राहत सामग्रियां पहुंचाई जा रही हैं।


80,000 लोगों का सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास

बीजिंग नगर पालिका के प्रवक्ता के अनुसार, अब तक 80,000 से ज्यादा नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। इनमें स्कूलों, स्टेडियमों और सरकारी भवनों को अस्थायी राहत शिविरों में बदल दिया गया है।

प्रशासन ने कहा है कि विशेषकर बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पहले स्थानांतरित किया गया है। अस्पतालों में आपातकालीन सेवाएं सक्रिय कर दी गई हैं और मेडिकल स्टाफ को चौबीसों घंटे ड्यूटी पर लगाया गया है।

चीन के अन्य प्रांतों में भी आपदा के आसार

हालांकि बीजिंग इस आपदा का सबसे बड़ा केंद्र है, लेकिन इसका प्रभाव हेबै, शांक्सी, लिओनिंग और तियानजिन जैसे अन्य प्रांतों पर भी देखने को मिल रहा है। मौसम विभाग ने इन इलाकों में भी भारी बारिश की संभावना जताई है।

रेलवे, मेट्रो और हवाई सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। बीजिंग एयरपोर्ट पर सैकड़ों उड़ानों को या तो रद्द कर दिया गया है या उनका मार्ग परिवर्तित किया गया है।


अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया

भारत सहित कई देशों ने इस त्रासदी पर चीन के प्रति संवेदना प्रकट की है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने आपदा की स्थिति पर नजर रखने की बात कही है और आवश्यकता पड़ने पर अंतरराष्ट्रीय मदद की पेशकश भी की है।

यह घटना जलवायु परिवर्तन और शहरी क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर की तैयारी पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है।

मानवता के लिए एक चेतावनी

बीजिंग में हो रही यह भारी बारिश और बाढ़ सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि मानवता के लिए गंभीर चेतावनी है। जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित शहरीकरण और बुनियादी ढांचे की कमजोरियां ऐसे हालात को और भी भयावह बना रही हैं।

आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चीन इस चुनौती का दीर्घकालिक समाधान कैसे निकालता है, और क्या अन्य देश इससे कुछ सीख पाते हैं।

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